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Saturday, June 13, 2020

बड़े हिसाब से इज़्ज़त

बड़े हिसाब से इज़्ज़त बचानी पड़ती है
हमेशा झूटी कहानी सुनानी पड़ती है

तुम एक बार जो टूटे तो जुड़ नहीं पाए
हमें तो रोज़ ये ज़िल्लत उठानी पड़ती है

मुझे ख़रीदने ऐसे भी लोग आते हैं
कि जिन के कहने से क़ीमत घटानी पड़ती है

मलाल ये है कि ये दोनों हाथ मेरे हैं
किसी की चीज़ किसी से छुपानी पड़ती है

तुम अपना नाम बता कर ही छूट जाते हो
हमें तो ज़ात भी अपनी बतानी पड़ती है

~ हसीब सोज़

Jun 13, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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