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Friday, June 26, 2020

मैं नहीं जा पाऊँगा यारो



मैं नहीं जा पाऊँगा यारो सू-ए-गुलज़ार अभी
देखनी है आब-जू-ए-ज़ीस्त की रफ़्तार अभी
*सू-ए-गुलज़ार=बाग़ीचे की तरफ़; आब-जू-ए-ज़ीस्त=जीवन का श्रोत

कर चुका हूँ पार ये दरिया न जाने कितनी बार
पार ये दरिया करूँगा और कितनी बार अभी

घूम फिर कर दश्त-ओ-सहरा फिर वहीं ले आए पाँव
दिल नहीं है शायद इस नज़्ज़ारे से बे-ज़ार अभी
*दश्त-ओ-सहरा=जंगल और बंजर; बे-ज़ार=उदासीन

काविश-ए-पैहम अभी ये सिलसिला रुकने न पाए
जान अभी आँखों में है और पाँव में रफ़्तार अभी
*काविश-ए-पैहम=लगातार प्रयास

ऐ मिरे अरमान-ए-दिल बस इक ज़रा कुछ और सब्र
रात अभी कटने को है मिलने को भी है यार अभी

जज़्बा-ए-दिल देखना भटका न देना राह से
मुंतज़िर होगा मिरा भी ख़ुद मिरा दिल-दार अभी
*मुंतज़िर=प्रतीक्षारत

होंगी तो इस रह-गुज़र में भी कमीं-गाहें हज़ार
फिर भी ये बार-ए-सफ़र क्यूँ हो मुझे दुश्वार अभी
*रह-गुज़र=रास्ता; कमीं-गाहें=जहाँ कुछ ढूँढ़ा जा रहा हो; बार-ए-सफ़र=सफ़र का बोझ 

~ हबीब तनवीर

Jun 26, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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