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Sunday, June 7, 2020

बोसा लिया जो चश्म का


बोसा लिया जो चश्म का बीमार हो गए
ज़ुल्फ़ें छूईं बला में गिरफ़्तार हो गए
*बोसा=चुम्बन; चश्म=आँख

सकता है बैठे सामने तकते हैं उन की शक्ल
क्या हम भी अक्स-ए-आईना-ए-यार हो गए
*सकता=अचम्भित; अक्स-ए-आईना-ए-यार=आईने में प्रेमिका का बिम्ब

बैठे तुम्हारे दर पे तो जुम्बिश तलक न की
ऐसे जमे कि साया-ए-दीवार हो गए
*जुम्बिश=हरकत; साया-ए-दीवार=दीवार पर पड़ी छाया

हम को तो उन के ख़ंजर-ए-अबरू के इश्क़ में
दिन ज़िंदगी के काटने दुश्वार हो गए
*ख़ंजर-ए-अबरू=निकीली भौँह

~ हैरत इलाहाबादी

Jun 7, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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