Disable Copy Text

Sunday, June 14, 2020

दिल को ख़याल-ए-यार ने


दिल को ख़याल-ए-यार ने मख़्मूर कर दिया
साग़र को रंग-ए-बादा ने पुर-नूर कर दिया
*मख़्मूर=नशे में; बादा=शराब; पुरनूर=रौशन

मानूस हो चला था तसल्ली से हाल-ए-दिल
फिर तू ने याद आ के ब-दस्तूर कर दिया
*मानूस=निश्चिंत; ब-दस्तूर=पहले जैसा

गुस्ताख़-दस्तियों का न था मुझ में हौसला
लेकिन हुजूम-ए-शौक़ ने मजबूर कर दिया
*गुस्ताख़-दस्तियों=बेसब्र हाथ; हुजूम-ए-शौक़=प्रबल इच्छाएँ

कुछ ऐसी हो गई है तेरे ग़म में मुब्तिला
गोया किसी ने जान को मसहूर कर दिया
*मुब्तिला=व्यथित; मसहूर=वशीभूत

बेताबियों से छुप न सका माजरा-ए-दिल
आख़िर हुज़ूर-ए-यार भी मज़कूर कर दिया
*मज़कूर=ज़िक्र

अहल-ए-नज़र को भी नज़र आया न रू-ए-यार
याँ तक हिजाब-ए-नूर ने मस्तूर कर दिया
* अहल-ए-नज़र=नज़र वालों; रू-ए-यार=प्रेमिका का चेहरा; मस्तूर=छुपा

'हसरत' बहुत है मर्तबा-ए-आशिक़ी बुलंद
तुझ को तो मुफ़्त लोगों ने मशहूर कर दिया
*मर्तबा-ए-आशिक़ी=प्रेम की अवस्था

~ हसरत मोहानी

Jun 14, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

No comments:

Post a Comment