न उड़ा यूँ ठोकरों से, मेरी ख़ाक-ए-क़ब्र ज़ालिम
यही एक रह गई है मेरे प्यार की निशानी।
तुझे पहले ही कहा था, है जहाँ सराय-फ़ानी
दिल-ए-बदनसीब तूने मेरी बात ही ना मानी।
Jul 29, 2015| e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
यही एक रह गई है मेरे प्यार की निशानी।
तुझे पहले ही कहा था, है जहाँ सराय-फ़ानी
दिल-ए-बदनसीब तूने मेरी बात ही ना मानी।
ये इनायत ग़ज़ब की ये बला की मेहरबानी
मेरी ख़ैरियत भी पूछी किसी और की ज़बानी
*सराय-फ़ानी=अस्थायी रुकने की जगह जो आसानी से नष्ट की जा सके
~ सागर सरहदी
मेरी ख़ैरियत भी पूछी किसी और की ज़बानी
*सराय-फ़ानी=अस्थायी रुकने की जगह जो आसानी से नष्ट की जा सके
~ सागर सरहदी
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Ashok Singh
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