तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है
उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वह
इधर परदे के पीछे बरबरीयत है, नवाबी है
लगी है होड़ सी देखो, अमीरी और गरीबी में
ये गांधीवाद के ढाँचे की बुनियादी खराबी है
तुम्हारी मेज़ चांदी की, तुम्हारे जाम सोने के
यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रकाबी है
~ अदम गोंडवी
Jun 13, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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