क़ौल, वादा, वफ़ा, इक़रार की ऐसी-तैसी
ज़िंदगी छीन ले उस प्यार की ऐसी-तैसी
*क़ौल=वचन का पक्का
जेठ की धूप में छत पर जो सुखाये हमको
ऐसे हालातों में दीदार की ऐसी-तैसी
रोज़ दरबार में पढ़ता है क़सीदे जा कर
भूख के सामने फ़नकार की ऐसी-तैसी
*क़सीदा=शायरी का वह रूप है जिसमें किसी की प्रशंसा की जाए
सामने मौत का सामान खड़ा हो तन कर
झूठ के मुख़्तलिफ इन्कार की ऐसी-तैसी
*मुख़्तलिफ=कई तरह का
देश को लूट कर कानून सिखाती हमको
दोगली-कलमुहीँ सरकार की ऐसी-तैसी
आपका काम किया है तो निकालो रिश्वत
आपके शुक्रिया - आभार की ऐसी-तैसी।
~ महेश कटारे सुगम
ज़िंदगी छीन ले उस प्यार की ऐसी-तैसी
*क़ौल=वचन का पक्का
जेठ की धूप में छत पर जो सुखाये हमको
ऐसे हालातों में दीदार की ऐसी-तैसी
रोज़ दरबार में पढ़ता है क़सीदे जा कर
भूख के सामने फ़नकार की ऐसी-तैसी
*क़सीदा=शायरी का वह रूप है जिसमें किसी की प्रशंसा की जाए
सामने मौत का सामान खड़ा हो तन कर
झूठ के मुख़्तलिफ इन्कार की ऐसी-तैसी
*मुख़्तलिफ=कई तरह का
देश को लूट कर कानून सिखाती हमको
दोगली-कलमुहीँ सरकार की ऐसी-तैसी
आपका काम किया है तो निकालो रिश्वत
आपके शुक्रिया - आभार की ऐसी-तैसी।
~ महेश कटारे सुगम
Jun 26, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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