जन्नत से जी लरज़ने लगा जब से ये सुना
अहल-ए-जहाँ वहाँ भी मिलेंगे यहाँ के बाद
~ नामालूम
Jun 11, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
अहल-ए-जहाँ वहाँ भी मिलेंगे यहाँ के बाद
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