चंचल पवन, प्राणमय बंधन
व्योम सभी के ऊपर छाया
एक चांदनी का मधु लेकर
एक उषा में जगो, जगाओ
झिझक छोड़ दो, जाल तोड़ दो
तज मन का जंजाल जोड़ दो
मन से मन, जीवन से जीवन
कच्चे कल्पित पात्र फोड़ दो
साँस-साँस से, लहर-लहर से
और पास आओ, लहराओ
~ त्रिलोचन
Jun 07, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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