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Saturday, July 9, 2016

अमल से ज़िंदगी बनती है

अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नुम भी,
यह ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है।

*अमल=काम, कर्म; ख़ाकी=तुच्छ, इंसान; नूरी=प्रकाश से भरपूर; नारी=आग्नेय, नरक

~ मोहम्मद इक़बाल

Jun 16, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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