अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नुम भी,
यह ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है।
*अमल=काम, कर्म; ख़ाकी=तुच्छ, इंसान; नूरी=प्रकाश से भरपूर; नारी=आग्नेय, नरक
~ मोहम्मद इक़बाल
Jun 16, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
यह ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है।
*अमल=काम, कर्म; ख़ाकी=तुच्छ, इंसान; नूरी=प्रकाश से भरपूर; नारी=आग्नेय, नरक
~ मोहम्मद इक़बाल
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