देहरी पर दिया
बाँट गया प्रकाश
कुछ भीतर कुछ बाहर:
बँट गया हिया -
कुछ गेही कुछ यायावर l
हवा का हल्का झोंका
कुछ सिमट, कुछ बिखर गया
लौ काँप कर फिर थिर हुई:
मैं सिहर गया l
*हिया=हृदय; गेही=घर-बार वाला व्यक्ति; यायावर=घुमक्कड़
~ अज्ञेय
Jun 17, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
बाँट गया प्रकाश
कुछ भीतर कुछ बाहर:
बँट गया हिया -
कुछ गेही कुछ यायावर l
हवा का हल्का झोंका
कुछ सिमट, कुछ बिखर गया
लौ काँप कर फिर थिर हुई:
मैं सिहर गया l
*हिया=हृदय; गेही=घर-बार वाला व्यक्ति; यायावर=घुमक्कड़
~ अज्ञेय
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