आए तो यूँ कि जैसे
हमेशा थे मेहरबान
भूले तो यूँ कि गोया
कभी आश्ना न थे
Dec 20, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
हमेशा थे मेहरबान
भूले तो यूँ कि गोया
कभी आश्ना न थे
~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Dec 20, 2017| e-kavya.blogspot.com
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