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Wednesday, July 1, 2020

ख़ुद अपने ज़र्फ का अन्दाज़ा


ख़ुद अपने ज़र्फ का अन्दाज़ा कर लिया जाए
तुम्हारे नाम से इक जाम भर लिया जाए

ये सोचता हूं कि कुछ काम कर लिया जाए
मिले जो आईना तुझ-सा संवर लिया जाए

तुम्हारी याद जहां आते-आते थक जाए
तुम्ही बताओ कहा ऐसा घर लिया जाए

तुम्हारी राह के काटे हो, गुल हो या पत्थर
ये मेरा काम है दामन को भर लिया जाए

हमारा दर्द न बाटो मगर गुज़ारिश है
हमारे दर्द को महसूस कर लिया जाए

ये बात अपनी तबीयत की बात होती है
किसी के बात का कितना असर लिया जाए

शऊरे-वक़्त अगर नापना हो ए `साग़र'
ख़ुद अपने आप को पैमाना कर लिया जाए

~ हनीफ़ सागर

Jul 01, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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