जान जाने को है और रक़्स में परवाना है
कितना रंगीन मोहब्बत तिरा अफ़्साना है
*रक़्स=नृत्य
ये तो देखा कि मिरे हाथ में पैमाना है
ये न देखा कि ग़म-ए-इश्क़ को समझाना है
*प्रेम सम्बंधी दुख
इतना नज़दीक हुए तर्क-ए-तअल्लुक़ की क़सम
जो कहानी है मिरी आप का अफ़्साना है
*तर्क-ए-तअल्लुक़=सम्बंध विच्छेद
हम नहीं वो कि भुला दें तिरे एहसान-ओ-करम
इक इनायत तिरा ख़्वाबों में चला आना है
*इनायत=कृपा
एक महशर से नहीं कम तिरा आना लेकिन
इक क़यामत तिरा पहलू से चला जाना है
*महशर=महाप्रलय
ख़ुम ओ मीना मय ओ मस्ती ये गुलाबी आँखें
कितना पुर-कैफ़ मिरे हिज्र का अफ़्साना है
*ख़ुम=शराब रखने का बड़ा मटका; लपुर-कैफ़=नशीला; हिज्र-जुदाई
~ साग़र ख़य्यामी
Jul 23, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment