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Tuesday, July 14, 2020

मल्बूस जब हवा ने बदन से चुरा लिए


मल्बूस जब हवा ने बदन से चुरा लिए
दोशी-ज़गान-सुब्ह ने चेहरे छुपा लिए
*मल्बूस=कपड़े; दोशीज़गान-सुब्ह=प्रात: की नव यौवनाएं

हम ने तो अपने जिस्म पे ज़ख़्मों के आईने
हर हादसे की याद समझ के सजा लिए

मीज़ान-ए-अदल तेरा झुकाओ है जिस तरफ़
उस सम्त से दिलों ने बड़े ज़ख़्म खा लिए
*मीज़ान-ए-अदल=न्याय की तुला; सम्त=तरफ

दीवार क्या गिरी मिरे ख़स्ता मकान की
लोगों ने मेरे सेहन में रस्ते बना लिए

लोगों की चादरों पे बनाती रही वो फूल
पैवंद उस ने अपनी क़बा में सजा लिए
क़बा=परिधान

हर मरहले के दोश पे तरकश को देख कर
माओं ने अपनी गोद में बच्चे छुपा लिए
*मरहले=रंगमंच; दोश=कंधे

~ सिब्त अली सबा

Jul 14, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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