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Wednesday, August 26, 2020

हर-चंद सहारा है तिरे प्यार का


 हर-चंद सहारा है तिरे प्यार का दिल को
रहता है मगर एक अजब ख़ौफ़ सा दिल को

वो ख़्वाब कि देखा न कभी ले उड़ा नींदें
वो दर्द कि उट्ठा न कभी खा गया दिल को

या साँस का लेना भी गुज़र जाना है जी से
या मारका-ए-इश्क़ भी इक खेल था दिल को
*मारका-ए-इश्क़=प्यार की उपलब्धि

वो आएँ तो हैरान वो जाएँ तो परेशान
या-रब कोई समझाए ये क्या हो गया दिल को

सोने न दिया शोरिश-ए-हस्ती ने घड़ी भर
मैं लाख तिरा ज़िक्र सुनाता रहा दिल को
*शोरिश-ए-हस्ती=जीवन की उथल-पुथल

रूदाद-ए-मोहब्बत न रही इस के सिवा याद
इक अजनबी आया था उड़ा ले गया दिल को
* रूदाद-ए-मोहब्बत=प्रेम कहानी

जुज़ गर्द-ए-ख़मोशी नहीं 'शोहरत' यहाँ कुछ भी
किस मंज़िल-ए-आबाद में पहुँचा लिया दिल को
जुज़=सिवा

~ शोहरत बुख़ारी

Aug 26, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

 


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