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Monday, August 3, 2020

झूटी उम्मीद की उँगली को


झूटी उम्मीद की उँगली को पकड़ना छोड़ो
दर्द से बात करो दर्द से लड़ना छोड़ो

जो पड़ोसी हैं वो सब अपने मोहल्ले के हैं
काम आएँगे ये सब इन से झगड़ना छोड़ो

बे-सबब देते हो क्यूँ अपनी ज़ेहानत का सुबूत
हीरे मोती को हर इक बात में जड़ना छोड़ो

चाँद सूरज की तरह तुम भी हो क़ुदरत का खेल
जैसे हो वैसे रहो बनना बिगड़ना छोड़ो

ख़्वाब का राज़ फ़क़त रात के सीने में है
दिन में ताबीर की तितली को पकड़ना छोड़ो

~ सलमान अख़्तर

Aug 03, 2020 | e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh

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