हुए हैं राम पीतम के नयन आहिस्ता-आहिस्ता
कि ज्यूँ फाँदे में आते हैं हिरन आहिस्ता-आहिस्ता
*राम=प्रभु श्री राम, वशीभूत
मिरा दिल मिस्ल परवाने के था मुश्ताक़ जलने का
लगी उस शम्अ सूँ आख़िर लगन आहिस्ता-आहिस्ता
*मिस्ल=के जैसे; मुश्ताक़=इच्छुक
गिरेबाँ सब्र का मत चाक कर ऐ ख़ातिर-ए-मिस्कीं
सुनेगा बात वो शीरीं-बचन आहिस्ता-आहिस्ता
*चाक=काट देना; ख़ातिर-ए-मिस्कीं=ग़रीबों की परवाह करने वाला; शीरीं-बचन=मीठे बोल
गुल ओ बुलबुल का गुलशन में ख़लल होवे तो बरजा है
चमन में जब चले वो गुल-बदन आहिस्ता-आहिस्ता
*ख़लल=व्यवधान; बरजा=एक स्थान पर
'वली' सीने में मेरे पंजा-ए-इश्क़-ए-सितमगर ने
किया है चाक दिल का पैरहन आहिस्ता-आहिस्ता
*पैरहन=वस्त्र
~ वली मोहम्मद वली
Sep 20, 2020| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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