जो भी कहना हो वहाँ मेरी ज़बानी कहना
लोग कुछ भी कहें तुम आग को पानी कहना
आज वो शख़्स ज़माने में है यकता कह दो
जब कोई दूसरा मिल जाए तो सानी कहना
*यकता=बेमिसाल; सानी=दूसरा
ग़म अगर पलकों पे थम जाए तो आँसू कहियो
और बह जाए तो मौजों की रवानी कहना
जितना जी चाहे उसे आज हक़ीक़त कह लो
कल उसे मेरी तरह तुम भी कहानी कहना
अब तो धुँदला गया यादों का हर इक नक़्श 'शमीम'
फिर वो दे जाए कोई अपनी निशानी कहना
~ शमीम फ़ारूक़ी
Sep 09, 2020| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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