बैठी छज्जे पर चिड़िया
जाने किसको
टेर रही है
बैठी छज्जे पर चिड़िया
हमने बहुत बार देखा
उसको आते-जाते घर में
उड़ती फिरती --
पता नहीं कितनी ताक़त
उसके पर में
तिनके-तिनके
धूप हवा में
बिखराती दिन-भर चिड़िया
यह चिड़या सूरज की बेटी
इसके पंख सुनहले हैं
जोत उन्हीं की
जिससे दमके
सारे महल-दुमहले हैं
मंदिर में
आरती जगाती
रोज सुबह आकर चिड़िया
चमक रहे हीरे-पन्ने
चिड़या की उजली आँखों में
रात हुए
है यही दमकती
आम-नीम की शाखों में
आधी-रात
चन्द्रमा उगता
होती इच्छा घर चिड़िया।
~ कुमार रवींद्र
Aug 28, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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