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Sunday, September 10, 2017

कभी कभी, अच्छा लगता है

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कभी कभी,
अच्छा लगता है
कुछ तनहा रहना

तन्हाई में भीतर का
सन्नाटा भी बोले
कथ्य वही जो बंद ह्रदय के
दरवाजे खोले
अनुभूति के, अतल जलधि को
शब्द - शब्द कहना
कभी कभी, अच्छा लगता है
कुछ तनहा रहना

बंद पलक में अहसासों के
रंग बहुत बिखरे
शीशे जैसा शिल्प तराशा
बिम्ब तभी निखरे
प्रबल वेग से भाव उड़ें जब
गीतों में बहना
कभी कभी, अच्छा लगता है
कुछ तनहा रहना

गहन विचारों में आती, जब
भी कठिन हताशा
मन मंदिर में दिया जलाती
पथ की परिभाषा
तन -मन को रोमांचित करती
सुधियों को गहना
कभी कभी, अच्छा लगता है
कुछ तनहा रहना

~ शशि पुरवार


  Sep 6, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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