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Sunday, September 10, 2017

मन जहां डर से परे है

Image may contain: mountain, sky, cloud, outdoor, nature and water

मन जहां डर से परे है
और सिर जहां ऊंचा है;

ज्ञान जहां मुक्‍त है;

और जहां दुनिया को
संकीर्ण घरेलू दीवारों से
छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं गया है;

जहां शब्‍द सच की गहराइयों से निकलते हैं;

जहां थकी हुई प्रयासरत बांहें
त्रुटि हीनता की तलाश में हैं;

जहां कारण की स्‍पष्‍ट धारा है
जो सुनसान रेतीले मृत आदत के
वीराने में अपना रास्‍ता खो नहीं चुकी है;

जहां मन हमेशा व्‍यापक होते विचार और सक्रियता में
तुम्‍हारे जरिए आगे चलता है
और आजादी के स्‍वर्ग में पहुंच जाता है
ओ पिता!
मेरे देश को जागृत बनाओ

~ रवीन्द्रनाथ टैगोर


 Aug 15, 2017| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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