न अब वो यादों का चढ़ता दरिया
न फ़ुर्सतों की उदास बरखा,
यूँ ही ज़रा सी कसक है दिल में
जो ज़ख़्म गहरा था भर गया वो
Jan 06, 2018| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
न फ़ुर्सतों की उदास बरखा,
यूँ ही ज़रा सी कसक है दिल में
जो ज़ख़्म गहरा था भर गया वो
~ नासिर काज़मी
Jan 06, 2018| e-kavya.blogspot.com
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