अभी होने दो
समय को
गीत फिर कुछ और
वक्त के बूढ़े कैलेंडर को
हटा दो,
नया टाँगों
वर्ष की पहली सुबह से
बाँसुरी की धुनें माँगो
सुनो निश्चित
आम्रवन में
आएगा फिर बौर
बर्फ की घटनाएँ
थोड़ी देर की हैं
धूप होंगी
खुशबुओं के टापुओं पर
टिकेगी फिर परी-डोंगी
साँस की
यात्राओं को दो
वेणुवन की ठौर
अभी बाकी
है अलौकिकता
हमारे शंख में भी
और बाकी हैं उड़ानें
सुनो, बूढ़े पंख में भी
इन थकी
पिछली लयों पर भी
करो तुम गौर
~ कुमार रवीन्द्र
Jan 01, 2018| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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