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Saturday, January 6, 2018

इन्हीं पत्थरों पे चल कर

इन्हीं पत्थरों पे चल कर, अगर आ सको तो आओ
मिरे घर के रास्ते में, कोई कहकशाँ नहीं है

*कहकशाँ=आकाशगंगा

~ मुस्तफ़ा ज़ैदी

  Jan 04, 2018| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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