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Sunday, November 1, 2015

ये अहद किया था कि ब-ई-हाले



ये अहद किया था कि ब-ई-हाले-तबाह
अब कभी प्यार भरे गीत नहीं गाऊंगा
किसी चिलमन ने पुकारा भी तो बढ़ जाऊँगा
कोई दरवाज़ा खुला भी तो पलट आऊंगा

*अहद=वादा; ब-ई-हाले-तबाह=यों तबाह-हाल होने पर भी; 

  चिलमन=बाँस की फटि्टयों का परदा

फिर तिरे कांपते होंटों की फ़ुन्सूकार हंसी
जाल बुनने लगी, बुनती रही, बुनती ही रही
मैं खिंचा तुझसे, मगर तू मिरी राहों के लिए
फूल चुनती रही, चुनती रही, चुनती ही रही

*फ़ुन्सूकार=जादू-भरी

~ साहिर लुधियानवी


  Oct 29, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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