ताइर को चहकने की सज़ा देते हो
शोलों को दहकने की सज़ा देते हो
अफ़कार पे ताज़ीर बिठाने वालो -
फूलों को महकने की सज़ा देते हो।
Nov 7, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
शोलों को दहकने की सज़ा देते हो
अफ़कार पे ताज़ीर बिठाने वालो -
फूलों को महकने की सज़ा देते हो।
*ताइर=पक्षी; अफ़कार=फ़िक्र का बहुवचन, चिंताएँ; ताज़ीर=सज़ा
~ अख़्तर पयामी
~ अख़्तर पयामी
Nov 7, 2015| e-kavya.blogspot.com
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