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Sunday, November 1, 2015

उसने फूल भेजे हैं



उसने फूल भेजे हैं
फिर मेरी अयादत (बीमार का हाल-चाल पूछना) को
एक-एक पत्ती में
उन लबों की नरमी है
उन जमील (सुन्दर) हाथों की
ख़ुशगवार हिद्दत (प्रबलता) है
उन लतीफ़ (रसमय) साँसों की
दिलनवाज़ (दिल को सुख देने वाली) ख़ुशबू है

दिल में फूल खिलते हैं
रुह में चिराग़ां है
ज़िन्दगी मुअत्तर (सुगंधित) है

फिर भी दिल यह कहता है,
बात कुछ बना लेना
वक़्त के खज़ाने से
एक पल चुरा लेना,
काश! वो ख़ुद आ जाता..!

~ परवीन शाकिर


  Nov 1, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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