सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर, ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैं
हाय क्या अच्छी कही, ज़ालिम हूँ मैं जाहिल हूँ मैं
*सख़्तियाँ=पाबंदी लगाना; ग़ाफ़िल=असावधान; ज़ालिम=क्रूर; जाहिल=मूर्ख
Nov 4, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
हाय क्या अच्छी कही, ज़ालिम हूँ मैं जाहिल हूँ मैं
*सख़्तियाँ=पाबंदी लगाना; ग़ाफ़िल=असावधान; ज़ालिम=क्रूर; जाहिल=मूर्ख
~ इक़बाल
Nov 4, 2015| e-kavya.blogspot.com
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