
वो पैमान (वचन) भी टूटे जिनको
हम समझे थे पाइंदा (अनश्वर)
वो शम्एं भी दाग (जल चुकी हुई) हैं जिनको
बरसों रक्खा ताबिंदा (प्रकाशमान)
दोनों वफ़ा करके नाख़ुश हैं
दोनों किए पर शर्मिन्दा।
प्यार से प्यारा जीवन प्यारे,
क्या माज़ी (अतीत) क्या आइंदा (भविष्य)
हम दोनों अपने क़ातिल हैं,
हम दोनों अब तक ज़िन्दा।
~ अहमद फ़राज़
Nov 3, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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