तुम्हारा शरीर
जब मुझ पर सहस्त्रधा
बरसता है,
मेरा मन वैसे नाचता है,
जैसे तेज़ बारिश में
एक पत्ती।
Oct 12, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
जब मुझ पर सहस्त्रधा
बरसता है,
मेरा मन वैसे नाचता है,
जैसे तेज़ बारिश में
एक पत्ती।
*सहस्त्रधा=हजार तरह से
~ नन्दकिशोर नवल
~ नन्दकिशोर नवल
Oct 12, 2016| e-kavya.blogspot.com
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