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Monday, October 31, 2016

नागफनी आँचल में बांध सको तो




नागफनी आँचल में बांध सको तो आना
धागों बिंधे ग़ुलाब हमारे पास नहीं

हम तो ठहरे निपट अभागे
आधे सोये, आधे जागे
थोड़े सुख के लिये उम्र भर
गाते फिरे भीड़ के आगे
कहाँ-कहाँ हम कितनी बार हुए अपमानित
इसका सही हिसाब, हमारे पास नहीं

हमने व्यथा अनमनी बेची
तन की ज्योति कंचनी बेची
कुछ न मिला तो अंधियारों को
मिट्टी मोल चांदनी बेची
गीत रचे जो हमने उन्हें याद रखना तुम
रत्नों मढ़ी किताब, हमारे पास नहीं

झिलमिल करतीं मधुशालाएँ
दिन ढलते ही हमें रिझाएँ
घड़ी-घड़ी हर घूँट-घूँट हम
जी-जी जाएँ, मर-मर जाएँ
पीकर जिसको चित्र तुम्हारा धुंधला जाए
इतनी कड़ी शराब, हमारे पास नहीं

आखर-आखर दीपक बाले
खोले हमने मन के ताले
तुम बिन हमें न भाए पल भर
अभिनन्दन के शाल-दुशाले
अबके बिछुड़े कहाँ मिलेंगे, ये मत पूछो
कोई अभी जवाब, हमारे पास नहीं

~ किशन सरोज


  Oct 31, 2016| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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