चाँद यह सोने नहीं देता
किया था मैंने कभी प्रेम
भूलकर सब नेम, योग-क्षेम
याद उसकी यह मुझे खोने नहीं देता
कान के आ पास जाता कूक
उठाता है कलेजे में हूक
किन्तु खुलकर यह मुझे रोने नहीं देता
प्राण-चूनर में लगा है दाग
आग में जल भस्म यह होने नहीं देता।
*नेम=नियमित रूप से प्रतिदिन किया जानेवाला काम; योग-क्षेम=अप्राप्त की प्राप्ति - योग, और जो प्राप्त हो गया है उसकी रक्षा करना क्षेम; प्राण-चूनर=प्राण रूपी चुनरी
~ नंदकिशोर नवल
Oct 14, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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