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Wednesday, August 12, 2015

आपको देखकर देखता रह गया



आपको देखकर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया

उनकी आँखों में कैसे छलकने लगा
मेरे होंटों पे जो माजरा रह गया

ऐसे बिछड़े सभी राह के मोड़ पर
आख़री हमसफ़र रास्ता रह गया

सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है ये
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया

*कू=गली

~ अज़ीज़ क़ैसी


  Aug 11, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh


Beautifully rendered by eternal Gazal king Jagjit ji:
 https://www.youtube.com/watch?v=AXtBc5CnyN4

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