अतसि नील गोटे की
सरसों-सी पीली-पीली
पुण्य पीत साड़ी में वेष्टित
नवनीत गात,
कोपलों-सी रक्त आभ
अधरों पर लिए हुये
तार झीनी बोली में
कोयल सा गा गया।
क्षण-क्षण बदलती सौंदर्य की छायाओं
जीवन के पतझड़ में
कोई मुसका गया।
वासंती छवि का समंदर लहरा गया
लगा की जैसे
वसंत घर आ गया।
Aug 7, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
सरसों-सी पीली-पीली
पुण्य पीत साड़ी में वेष्टित
नवनीत गात,
कोपलों-सी रक्त आभ
अधरों पर लिए हुये
तार झीनी बोली में
कोयल सा गा गया।
क्षण-क्षण बदलती सौंदर्य की छायाओं
जीवन के पतझड़ में
कोई मुसका गया।
वासंती छवि का समंदर लहरा गया
लगा की जैसे
वसंत घर आ गया।
~ कन्हैयालाल नन्दन
Aug 7, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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