तुम कहाँ होगी इस वक़्त?
क्षितिज के उस ओर अपूर्ण स्वप्नों की एक बस्ती है
जहाँ तारे झिलमिलाते रहते है आठों पहर
और चन्द्रमा अपनी घायल देह लिए भटकता रहता है
तुम्हारी तलाश में हज़ारों बरस भटका हूँ वहाँ,
नक्षत्रों के पाँवों से चलता हुआ अनवरत!
Aug 4, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
क्षितिज के उस ओर अपूर्ण स्वप्नों की एक बस्ती है
जहाँ तारे झिलमिलाते रहते है आठों पहर
और चन्द्रमा अपनी घायल देह लिए भटकता रहता है
तुम्हारी तलाश में हज़ारों बरस भटका हूँ वहाँ,
नक्षत्रों के पाँवों से चलता हुआ अनवरत!
~ अशोक पाण्डेय
Aug 4, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment