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Wednesday, August 5, 2015

तुम कहाँ होगी इस वक़्त?

तुम कहाँ होगी इस वक़्त?
क्षितिज के उस ओर अपूर्ण स्वप्नों की एक बस्ती है
जहाँ तारे झिलमिलाते रहते है आठों पहर
और चन्द्रमा अपनी घायल देह लिए भटकता रहता है
तुम्हारी तलाश में हज़ारों बरस भटका हूँ वहाँ,
नक्षत्रों के पाँवों से चलता हुआ अनवरत!


~ अशोक पाण्डेय

  Aug 4, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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