
वह जंग ही क्या, वह अमन ही क्या
दुश्मन जिसमें ताराज़ न हो
वह दुनिया दुनिया क्या होगी
जिस दुनिया में स्व-राज न हो
वह आज़ादी आज़ादी क्या
मज़दूर का जिसमें राज न हो
लो सुर्ख़ सवेरा आता है आज़ादी का, आज़ादी का
गुलनार तराना गाता है आज़ादी का, आज़ादी का
देखो परचम लहराता है आज़ादी का, आज़ादी का
~ मख़्दूम मोहिउद्दीन
Aug 14, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment