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Thursday, August 27, 2015

जवानी के हीले हया के बहाने



जवानी के हीले हया के बहाने
ये माना के तुम मुझ से पर्दा करोगी
ये दुनिया मगर तुझ सी भोली नहीं है
छुपा कर मुहब्बत को रुसवा करोगी
*हीले=टालमटोल करना, बहाना बनाना; हया=लाज, शर्म

बड़ी कोशिशों से बड़ी काविशों से
तमन्ना की सहमी हुई साज़िशों से
मिलेगा जो मौका तो बेचैन होकर
दरीचों से तुम मुझको देखा करोगी
*काविश=चिंता, फ़िक्र; दरीचा=खिड़की, झरोख़ा

सतायेगी जब चाँदनी की उदासी
दुखायेगी दिल जब फ़िज़ा की ख़ामोशी
उफ़क़ की तरफ़ ख़ाली नज़रें जमाकर
कभी जो न सोचा वो सोचा करोगी
*फ़िज़ा=वातावरण; उफ़क़=क्षितिज

कभी दिल की धड़कन महसूस होगी
कभी ठन्डी साँसों के तूफ़ाँ उठेंगे
कभी गिर के बिस्तर पे आहें भरोगी
कभी झुक के तकिये पे रोया करोगी

~  प्रेम वरबारतोनी

  Aug 27, 2015| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh 

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