
गढने को जो चाहे गढ़ ले
मढने को जो चाहे मढ ले
शासन के सौ रूप बदल ले
राम बना रावण सा चल ले
करने जो चाहे कर ले
चलनी पर चढ़ सागर तर ले
चिउंटी पर चढ़ चाँद पकड़ ले
लड ले एटम बम से लड़ ले
झूठ नहीं सच होगा साथी ।
~ केदार नाथ अग़वाल
Aug 20, 2015| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
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