तुम जन्नते कश्मीर हो तुम ताज महल हो
'जगजीत' की आवाज़ में ग़ालिब की ग़ज़ल हो
हर पल जो गुज़रता है वो लाता है तिरी याद
जो साथ तुझे लाये कोई ऐसा भी पल हो
Jul 30, 2015| e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
'जगजीत' की आवाज़ में ग़ालिब की ग़ज़ल हो
हर पल जो गुज़रता है वो लाता है तिरी याद
जो साथ तुझे लाये कोई ऐसा भी पल हो
मिल जाओ किसी मोड़ पे इक रोज अचानक
गलियों में हमारा ये भटकना भी सफल हो
~ राजेंद्रनाथ रहबर
गलियों में हमारा ये भटकना भी सफल हो
~ राजेंद्रनाथ रहबर
Jul 30, 2015| e-kavya.blogspot.com
Ashok Singh
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