अब भी इक उम्र पे जीने का न अंदाज़ आया
ज़िंदगी छोड़ दे पीछा मिरा, मैं बाज़ आया
~ शाद अज़ीमाबादी
Apr 4, 2017| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
ज़िंदगी छोड़ दे पीछा मिरा, मैं बाज़ आया
~ शाद अज़ीमाबादी
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