जब हमदम-ओ-हमराज़ था
तब और ही अंदाज़ था
अब सोज़ है तब साज़ था
अब शर्म है तब नाज़ था
~ जावेद अख़्तर
Feb 26, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
तब और ही अंदाज़ था
अब सोज़ है तब साज़ था
अब शर्म है तब नाज़ था
अब मुझ से हो तो हो भी क्या
है साथ वो तो वो भी क्या
इक बे-हुनर इक बे-समर
मैं और मिरी आवारगी
~ जावेद अख़्तर
है साथ वो तो वो भी क्या
इक बे-हुनर इक बे-समर
मैं और मिरी आवारगी
~ जावेद अख़्तर
~ जावेद अख़्तर
Feb 26, 2015|e-kavya.blogspot.com
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