यही है ज़िन्दगी - कुछ ख़्वाब, चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको, तो चलो
~ निदा फ़ाज़ली
Feb 09, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको, तो चलो
~ निदा फ़ाज़ली
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