हमसे रौशन हैं चाँद और तारे
हम को दामन समझिये न ग़ैरत का
उठ गये हम गर ज़माने से
नाम मिट जायेगा मुहब्बत का
दिल है नाज़ुक, कली से फूलों से
यह न टूटे, ख़याल रखियेगा
और अगर आप से ये टूट गया
जान-ए-जाँ इतना ही समझियेगा
फिर कोई बावरी मुहब्बत की
अपनी ज़ुल्फ़ें नहीं सँवारेगी
आरती फिर किसी कन्हैया की
कोई राधा नहीं उतारेगी.
~ नूर देवासी
Feb 25, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
हम को दामन समझिये न ग़ैरत का
उठ गये हम गर ज़माने से
नाम मिट जायेगा मुहब्बत का
दिल है नाज़ुक, कली से फूलों से
यह न टूटे, ख़याल रखियेगा
और अगर आप से ये टूट गया
जान-ए-जाँ इतना ही समझियेगा
फिर कोई बावरी मुहब्बत की
अपनी ज़ुल्फ़ें नहीं सँवारेगी
आरती फिर किसी कन्हैया की
कोई राधा नहीं उतारेगी.
~ नूर देवासी
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