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Monday, February 15, 2016

आप से गिला आप की क़सम

आप से गिला आप की क़सम
सोचते रहे कर सके न हम

उस की क्या ख़ता, ला-दवा है गम़
क्यूं गिला करें चारागर से हम
*ला-दवा=लाइलाज़; चारागर=वैद्य 


ये नवाज़िशें और ये करम
फ़र्त-ए-शौक़ से मर न जाएँ हम
*नवाज़िश=मेहरबानी; फ़र्त-ए-शौक़=प्रिय वस्तु का लालच

खींचते रहे उम्र भर मुझे
इक तरफ़ ख़ुदा इक तरफ़ सनम

ये अगर नहीं यार की गली
चलते चलते क्यूँ रुक गए क़दम

~ सबा सीकरी

  Feb 11, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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