आप से गिला आप की क़सम
सोचते रहे कर सके न हम
उस की क्या ख़ता, ला-दवा है गम़
क्यूं गिला करें चारागर से हम
*ला-दवा=लाइलाज़; चारागर=वैद्य
Feb 11, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
सोचते रहे कर सके न हम
उस की क्या ख़ता, ला-दवा है गम़
क्यूं गिला करें चारागर से हम
*ला-दवा=लाइलाज़; चारागर=वैद्य
ये नवाज़िशें और ये करम
फ़र्त-ए-शौक़ से मर न जाएँ हम
*नवाज़िश=मेहरबानी; फ़र्त-ए-शौक़=प्रिय वस्तु का लालच
खींचते रहे उम्र भर मुझे
इक तरफ़ ख़ुदा इक तरफ़ सनम
ये अगर नहीं यार की गली
चलते चलते क्यूँ रुक गए क़दम
~ सबा सीकरी
फ़र्त-ए-शौक़ से मर न जाएँ हम
*नवाज़िश=मेहरबानी; फ़र्त-ए-शौक़=प्रिय वस्तु का लालच
खींचते रहे उम्र भर मुझे
इक तरफ़ ख़ुदा इक तरफ़ सनम
ये अगर नहीं यार की गली
चलते चलते क्यूँ रुक गए क़दम
~ सबा सीकरी
Feb 11, 2015|e-kavya.blogspot.com
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