बैठ, प्रिय साक़ी, मेरे पास,
पिला यों, बढ़ती जाए प्यास
सुनेगा तू ही यदि न पुकार
मिलेगा कैसे मुझको पार!
Feb 09, 2016| e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
पिला यों, बढ़ती जाए प्यास
सुनेगा तू ही यदि न पुकार
मिलेगा कैसे मुझको पार!
स्वप्न मादक प्याली में आज
डुबा दे लोक-लाज, जग काज,
हुआ जीवन से सखे निराश
बाँध ले, मादक निज भुज पाश!
~ सुमित्रानंदन पंत
डुबा दे लोक-लाज, जग काज,
हुआ जीवन से सखे निराश
बाँध ले, मादक निज भुज पाश!
~ सुमित्रानंदन पंत
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