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Wednesday, February 3, 2016

सरिता से बहते जाते

सरिता से बहते जाते
चंचल जीवन पल,
आदि अंत अज्ञात
ज्ञात बस फेनिल कल-कल!
हार गए सब खोज
मिली पर थाह न निस्तल,
डूब गया जो, पाया
उसने भेद, वह सफल!


~ सुमित्रानंदन पंत

  Feb 02, 2016| e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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