हो गुल बलबल तभी बुलबुल
पे बुलबुल फूल कर गुल हो
तिरे गर गुल-बदन बर में
क़बा-ए-चश्म-ए-बुलबुल हो
*बलबल= बेक़रार होना
बर=जिस्म
क़बा=लबादा
क़बा-ए-चश्म-ए-बुलबुल=रेशमी कपड़े से बना हुआ लबादा जिसमें चौकोर खाने होते हैं और हर खाने में आंख होती है
~ इश्क़ औरंगाबादी
Feb 20, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
पे बुलबुल फूल कर गुल हो
तिरे गर गुल-बदन बर में
क़बा-ए-चश्म-ए-बुलबुल हो
*बलबल= बेक़रार होना
बर=जिस्म
क़बा=लबादा
क़बा-ए-चश्म-ए-बुलबुल=रेशमी कपड़े से बना हुआ लबादा जिसमें चौकोर खाने होते हैं और हर खाने में आंख होती है
~ इश्क़ औरंगाबादी
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