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Saturday, February 27, 2016

हो गुल बलबल तभी बुलबुल

हो गुल बलबल तभी बुलबुल
पे बुलबुल फूल कर गुल हो
तिरे गर गुल-बदन बर में
क़बा-ए-चश्म-ए-बुलबुल हो


*बलबल= बेक़रार होना
  बर=जिस्म
  क़बा=लबादा
  क़बा-ए-चश्म-ए-बुलबुल=रेशमी कपड़े से बना हुआ लबादा जिसमें चौकोर खाने होते हैं और हर खाने में आंख    होती है

~ इश्क़ औरंगाबादी


  Feb 20, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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