
यूँ तो गुज़र रहा है हर एक पल खुशी के साथ
फिर भी कोई कमी सी है, क्यू ज़िंदगी के साथ
रिश्ते, वफायें, दोस्ती, सब कुछ तो पास है
क्या बात है पता नही, दिल क्यूँ उदास है
हर लम्हा है हसीन, नयी दिलकशी के साथ
फिर भी कोई कमी सी है, क्यूँ ज़िंदगी के साथ।
चाहत भी है सुकून भी है दिलबरी भी है
आँखों में ख़्वाब भी है, लबों पर हँसी भी है
दिल को नहीं है कोई शिकायत किसी के साथ
फिर भी कोई कमी सी है, क्यूँ ज़िंदगी के साथ।
सोचा था जैसा वैसा ही जीवन तो है मगर
अब और किस तलाश में बैचैन है नज़र
कुदरत तो मेहरबान है दरिया-दिली के साथ
फिर भी कोई कमी सी है, क्यूँ ज़िंदगी के साथ।
~ निदा फ़ाज़ली
Mar 15, 2015|e-kavya.blogspot.com
Submitted by: Ashok Singh
No comments:
Post a Comment