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Thursday, March 17, 2016

इतिहास एक है घंटाघर



इतिहास एक है घंटाघर
जो समय-सदृश ही अस्थिर।

वह यों ही रूप पलटता है,
ज्यों गिरगिट रंग बदलता है।

वह राजनीति का साधन है
उस पर उसका अनुशासन है।

जब चाहो उसे बदल डालो
सत-असत असत-सत कर डालो।

अल्लामा सुंदरलाल सदृश
लोगों ने उसको किया स्ववश।

सुधि विद्वानों को भी आई
यह बोल उठे सरदेसाई।

समयानुसारे इतिहास लिखो
जो चाहो उसको प्रकट करो।

वह नहीं वणिक का लेखा है
इतिहास न प्रस्तर-रेखा है।

~ श्री नारायण चतुर्वेदी


  Feb 29, 2015|e-kavya.blogspot.com
  Submitted by: Ashok Singh

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